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Wednesday, June 12, 2013

अगर आप प्यार हासिल करना चाहते हैं...;
तो आप निश्चित रूप से अपने क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, स्वार्थ, etc. ki पहले छुट्टी की आवश्यकता होगी!

कुछ लोग अक्सर  मुझसे पूछते है
 की  ..., आप अकेले अकेले क्यों रहते हो ?
...
...

उनको मैं बताना चाहूँगा
....
की दुनिया में कुछ लोग सबके साथ रहते है
लेकिन, सोचते सिर्फ और सिर्फ खुद के ही बारे में है
....
जबकि मई भले ही अक्सर अकेले रहता हूं
लेकिन अपने अलावा सभी के बारे में भी सोचता हूँ ...

Sunday, April 28, 2013

अपने आस-पास की भयानक - गंभीर समस्याओं से परेशान हो ?
चिंता मत करो ...
क्योंकि वे सब आप के या आप के अपनों के
छोटी समस्याओं व कमियों पे ध्यान ना देने का नतीजा है !!!
और
क्रोध, अंधविश्वास, लत, ईर्ष्या/द्वेष, नफरत, सनक जैसी छोटी लगनेवाली चीज़े ही आगे चलकर
क्रूरता , अत्याचार, ज़ुल्म, भ्रष्टाचार, हिंसा, उन्माद, आक्रामकता आदि में तब्दील हो जाते है ... !
हम हिन्दुस्तानी कितने पागल है।।।
हम ये भूल जाते है, की ....
एक्टर्स एक्टिंग करते हैं ... !
राजनेता राजनीति करते हैं ... !
नफरत-वादी भड़काते हैं ... !
....
और फिर भी हम लोग उनकी बातों में आ जाते है !
:)

Ham Angrezon ke Gulaam Hain ?


हम कैसे भारी गुलाम हो गए है अंग्रेजो के !!....

हम बर्थडे मनाते है, उनमे जाते है
...
ये ऐसा इसीलिए ... क्यूकी हम अंग्रेजो के गुलाम हो गए है..
अब ये तो हुआ मामला बर्थडे का! (Not a big Deal)
..
यानी हम अंग्रेजियत के इतने गुलाम हो गए है, के उस तरीके को छोड़ भी नहीं सकते !!!
ज़रा सोचो, की अगर मामला इबादत का हो,
....
...
तो फिर हमरी आदत की गुलामी के मुताबिक हम काफिर / नास्तिक हो जायेंगे !!!

Think on it ....

इस दुनिया में कई बुराइयां ... कई समस्याए है ... कई तकलीफें हैं ....
और ये सभी इंसानों द्वारा ही बनायी हुई है .....

अतः हमारा काम  यहीं होना चाहिए की इन सभियों को
ज्यादा से ज्यादा ख़त्म करने की कोशिश की जाए !!!

और हाँ  !!
अगर आप के साथ सब कुछ ठीक हैं ...
तो इसका अर्थ कतई नहीं  है, की सब कुछ ठीक हैं  !!!
---

इसे पागलपन, बेवकूफी, बचकानापन ही कहा जायेगा, की लोग अपने
बाहरी/एक्स्ट्रा/सेकंडरी /द्वितीय अधिकारों को प्रति बेहद सजग हो, परन्तु
अपने अधिक आवश्यक/प्राथमिक/ज़रूरी अधिकारों के प्रति (बिलकुल भी) नहीं !!!
---

इस दुनिया में अच्छे काम हर लेवल (Level) पर ढेर सारे हो रहे हैं ...
मगर हाँ .. अगर पूर्ण सफलता हासिल नहीं हो रही हो, तो समझ , लीजियेगा कि ,
दिल से  कोशिश (इंसानी पहल) की ; और फिर इंसानी त्याग की  कमी पड़ रही हैं !!!
---

इस दुनिया में कोई भी परिपक्व नहीं है !!
सच तो ये है, की पढ़े लिखे लोगो को भी
अनपढ़ या कम पढ़े लिखो से काफी कुछ
सीखने को होता है .... ...
आखिरकार, अहम् बात ये ही है, कि जिसके पास
जितना ज्ञान है,वो उतना ज्ञान या गुण ; ...
दूसरो को प्रदान करें !!!
---

इंसान  सर्वश्रेष्ठ प्राणी (अशरफुल मख्लुकात) है !
..........
इंसान इसलिए है, ...
ताकि उसकी काबिलियतों का फायदा उठाया जाए
देश, दुनिया, समाज, इन्सानियत और सिस्टम, आदि की भलाई के लिए...
 .........
इंसान इसलिए नहीं है, ... 
ताकि उसके दबाया, पिच्काया , कुचला जाए
और उसका भुरता  बनाया जाए ...

Comedy or Strange (Grief) .... Think .... Feel ...

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 जब इंसान अपने दिमाग का इस्तेमाल  (लाइफ को बेहतर बनाने के अन्यत्र) , दुसरे कही और जगहों पर करता हैं ...
या फिर जब इंसान जीवन की गहराइयों को साइंस के दृष्टिकोण से समझने-बुनने में लग जाता हैं ...  ;
तो फिर उसे समझ में आता है, की जीवन की जतिल्ताओ को कंट्रोल करना तो दूर, उन्हें समझना भी नामुमकिन हैं !!!


और तब याद आता हैं ... की .... 

  " वो जो हमारा एक मालिक हैं ... उसी के बताये रास्ते ही परफेक्ट थे ; जिन्हें हमने भुला दिया , और जिन्हें हम हमेशा ही नज़र अंदाज़ कर देते हैं  !!!! "

गुण

हर क्षेत्र का अपना एक गुण होता है ...

कला -  सजाना, सवारना, अतिशयोक्ति
वाणिज्य - हिसाब,किताब,बचत, मैनेजमेंट 
विज्ञान - शोध कार्य

परन्तु इन सब का प्रयोग  इंसान अलग अलग हितो को साधने के लिए करता हैं ...

अगर वे हित खुद /शैतान के हो ; तो ये भयावह हैं ... !
लेकिन अगर वे हित दूसरों के लिए हो, तो तरक्की हैं !!!!!

Monday, January 21, 2013

चर्चा? हम तो बस रीसर्च..!

चर्चा करना तो आम इंसानों का काम है !
हम तो बस  रीसर्च  करते है !!

Thursday, October 25, 2012

क्या सोचते हैं

 आप मेरे कपड़े या accessories (एक्सेसरीज़ ) आदि के बारे में क्या सोचते हैं ये महत्वहीन है...
महत्वपूर्ण है कि तुम मेरे नीतिशास्त्र के बारे में क्या सोचते हैं
और...  मेरे नीतिशास्त्र आप के बारे में क्या सोचते हैं
!!!

Wednesday, October 10, 2012

सर्वश्रेष्ठ अभियान - The Best Mission (Hindi)

इस दुनिया में लोग कई तरह के मिशन, स्कीम, प्रोमो, जन-जागृति, कार्यक्रम , अभियान  .. चला रहे है
कोई किसी के नाम से , कोई किसी के नाम से

लेकिन सबसे बेहतर अभियान वही है,
जिसमे केवल ऊपरवाले की बड़ाई और मानवता की रक्षा शामिल हो .... !!!

रास्तें ...

 जब इंसान अपने दिमाग का इस्तेमाल  (लाइफ को बेहतर बनाने के अन्यत्र) , दुसरे कही और जगहों पर करता हैं ...
या फिर जब इंसान जीवन की गहराइयों को साइंस के दृष्टिकोण से समझने-बुनने में लग जाता हैं ...  ;
तो फिर उसे समझ में आता है, की जीवन की जतिल्ताओ को कंट्रोल करना तो दूर, उन्हें समझना भी नामुमकिन हैं !!!


और तब याद आता हैं ... की .... 

  " वो जो हमारा एक मालिक हैं ... उसी के बताये रास्ते ही परफेक्ट थे ; जिन्हें हमने भुला दिया , और जिन्हें हम हमेशा ही नज़र अंदाज़ कर देते हैं  !!!! "


Tuesday, October 9, 2012

गुरुजी...


                                                                     Thank You Very Much !!!

जब शिष्य था तो जाना, के गुरु का स्थान कहा होता है !
परन्तु जब स्वयं गुरु बना तो समझ पाया की गुरु की महिमा क्या होती है !!

चाहे इंसान कितना ही परफेक्ट हो ; उसे सही वक़्त पर, सही मार्गदर्शन देने के लिए,
गुरु की आवश्यकता होती हैं !!!


हर गुरु को कोटि कोटि धन्यवाद !

Sunday, October 7, 2012

It's all about me...

कई लोगों को मेरे बारे में बात की, लेकिन कोई भी मेरे साथ बात करना चाहता है
कई लोगों को मेरे बारे में बात सुनी है, लेकिन मुझे कोई सुनना चाहता है
बहुत से लोग मेरे बारे में पूछा, लेकिन मुझे कोई पूछना चाहता
कई लोगों को मेरी दोस्ती पसंद है, लेकिन कोई भी मेरे सच्चे मित्र बनना चाहता है
बहुत से लोग मेरी मदद ली, लेकिन कोई भी मुझे याद
कई लोगों ने मुझसे मदद के लिए कहा है, लेकिन कोई भी मदद दी
कई लोगों ने मुझे स्वीकार किए जाते हैं, लेकिन कोई नहीं करने के लिए मुझे सराहना करना चाहता है
कई लोगों को मेरे बारे में ख्याल दिखाया गया है, लेकिन कोई भी मेरे बारे में परवाह करना चाहता है
....
मनुष्य सिर्फ स्वार्थी हैं ......
भगवान, जो सहायक, दयालु और महान है एक बहुत बहुत धन्यवाद!
फिर भी, मानव स्वभाव के अनुसार, मैं अकेले हमेशा के लिए नहीं किया जा सकता है
मैं अकेले रहना सीखा
अकेलापन मेरी कभी सबसे अच्छा मित्र है ....
फिर भी मैं लोगों के साथ रहना चाहता है .... आप ....
शुक्रिया!
और
भगवान तुम्हें आशीर्वाद .... !
हामिद फैसल
(नागपुर, भारत)

ज्ञानी ... ???

दरअसल  सत्य तो ये हैं ...
की अक्सर जब इंसान अपने दायरे से अधिक जान नहीं पाते,
तो वे दुसरे ज्ञानियों के ज्ञान व मार्गदर्शन का सहारा लेते हैं  !
 ऐसे में अगर उनसे थोड़ा अधिक बुद्धिमान/ज्ञानी व्यक्ति उन्हें अक्सर
असत्य (गलत ) या  अल्प-सत्य(अधूरा) या ज्ञान भी दे सकता है ।

|| सर्व धर्मं सम भाव ||

 सबका मालिक एक
तो फिर ये इतने सारे भेद-भाव क्यूँ?

आप जिस को मानते हैं, उसी के कथनों - विचारों से इनकार क्यूँ करते हैं ?

आप धर्म को तो मानते है, लेकिन असली मायनों में आप में धार्मिकता कब आयेगी ?

शिक्षा महानतम चीज़ हैं ; मगर हम लोगो ने आजकल, शिक्षा को बाज़ार तक जाने का एक रास्ता बना दिया हैं !!

Tuesday, September 18, 2012

हिंदी ... (Hindi)

हिंदी ...
हमारी मातृभाषा !!!

आज तक ये उपेक्षित थी
पर आज... जब हिंदी के लिए इतने ढेर सारे अवसर इन्टरनेट पर उपलभ हैं, तो हम बताएं
की हम इसे कितना प्रतिसाद दे रहे हैं ... ?
याद रहे, हिंदी अंग्रेज़ी से कही ज़्यादा साइंटिफिक हैं... !!!

सो, जुड़े रहिये इस हिंदी ब्लॉग से ... हमेशा !!

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